बहुत समय पहले, एक घने जंगल के पास एक छोटे से गाँव में एक युवा लड़का, सूरज, अपनी साधारण जिंदगी जी रहा था। सूरज को जंगलों और पहाड़ों से बहुत प्यार था, और अक्सर वह जंगल के किनारे पर समय बिताने जाता था। वह उन जगहों को बहुत पसंद करता था, जहाँ चिड़ियों की चहचहाहट और पेड़ों की सरसराहट के अलावा कोई अन्य शोर नहीं था। लेकिन एक दिन, उसने सुनी एक अजीब सी कहानी, जो उसे बहुत आकर्षित करने लगी। कहते थे कि उस जंगल में एक खोई हुई दुनिया थी, जहाँ समय और स्थान का कोई मतलब नहीं था। वह दुनिया एक रहस्यमयी जंगल के भीतर छिपी हुई थी, जिसे कोई अब तक खोज नहीं पाया था।
सूरज की जिज्ञासा और साहस उसे उस खोई हुई दुनिया को खोजने के लिए प्रेरित करते गए। गाँव में लोग कहते थे कि जंगल के भीतर एक अदृश्य शक्ति छिपी है, जो हर किसी को अपनी ओर खींचती है। सूरज ने ठान लिया कि वह उस खोई हुई दुनिया की तलाश में निकलेगा। वह अपने सपने को पूरा करने के लिए हर मुश्किल से जूझने के लिए तैयार था। उसने अपनी यात्रा की तैयारी की और जंगल के अंदर गहरे तक जाने का फैसला किया। सूरज ने अपनी मशाल, कुछ ज़रूरी सामान और पानी की बोतल साथ ली और जंगल की ओर चल पड़ा।
जंगल के भीतर घुसते ही सूरज को अजीब सी आवाज़ें सुनाई देने लगीं। उसके चारों ओर घने पेड़, झाड़ियाँ और रास्ते थे, जिनका कोई ठिकाना नहीं था। अंधेरे में मशाल की रोशनी के साथ वह धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया। उसकी आँखों के सामने पेड़ और लताएँ अब रहस्यमयी रूप में बदलने लगी थीं। सूरज को महसूस हो रहा था जैसे जंगल उसके आसपास किसी अज्ञात शक्ति के रूप में जागृत हो। लेकिन सूरज ने हिम्मत नहीं हारी। वह जंगल के भीतर की रहस्यमयी गहराई को जानने के लिए और आगे बढ़ता गया, मानो जंगल उसे किसी अदृश्य शक्ति से मार्गदर्शन कर रहा हो।
जैसे-जैसे सूरज जंगल के अंदर गहरा जाता गया, वह महसूस करने लगा कि कुछ अजीब सा हो रहा था। हवा में बदलाव आ रहा था, जैसे समय का रुख पलट रहा हो। पेड़ों के पत्ते अचानक से खामोश हो गए थे, और वातावरण में एक गहरी चुप्पी छा गई थी। सूरज अब एक ऐसी जगह पर आ पहुँचा था, जहाँ सब कुछ अद्भुत था। वहाँ के पेड़ रंग-बिरंगे थे, और आकाश में सूरज की रोशनी भी बहुत अलग थी। सूरज को समझ में आ गया कि यह वही खोई हुई दुनिया हो सकती है, जिसके बारे में उसने सुना था।
उस रहस्यमयी दुनिया में सूरज ने देखा कि हर दिशा में अद्भुत प्राणी घूम रहे थे। यहाँ के जीव जंतु आम जंगलों से बिल्कुल अलग थे—उनकी आँखों में एक गहरी चमक थी और वे सूरज को देख कर कोई आक्रामकता नहीं दिखाते थे। सूरज ने महसूस किया कि यहाँ का वातावरण बहुत शांति और सौम्यता से भरा हुआ था। कुछ प्राणी सूरज के पास आकर खड़े हो गए थे, लेकिन वे न तो डराते थे और न ही उनका कोई हानिकारक इरादा था। सूरज को यह सब देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी अलग ही दुनिया में आ गया हो।
सूरज की आँखें अब इस नए वातावरण में और गहरी डुबकी लगाने लगीं। वह इस रहस्यमयी दुनिया में खो जाने का मन बना चुका था, लेकिन तभी एक अद्भुत आवाज ने उसे चेतावनी दी। "यह दुनिया तुम्हारे साथ नहीं है," आवाज ने कहा। सूरज ने देखा कि एक प्राचीन वृक्ष के नीचे एक बुजुर्ग महिला खड़ी थी, जिनके चेहरे पर एक अजीब सी शांति और ज्ञान की झलक थी। महिला ने सूरज से कहा, "तुमने जिस दुनिया की खोज की है, वह किसी और के लिए नहीं है। यह जगह उन लोगों के लिए है, जो अपने दिल और दिमाग में शांति और संतुलन रखते हैं।"
महिला ने सूरज से कहा, "यह जगह तुम्हारी यात्रा के अंतिम पड़ाव के रूप में नहीं है, बल्कि यह तुम्हारे भीतर की यात्रा का एक हिस्सा है।" सूरज ने महसूस किया कि यह खोई हुई दुनिया असल में बाहरी दुनिया की नहीं, बल्कि उसके भीतर के गहरे अनुभवों और सोच का प्रतीक थी। महिला ने सूरज को एक पत्थर दिया और कहा, "यह पत्थर तुम्हारी आत्मा का प्रतीक है। जब भी तुम अपनी यात्रा के मार्ग में उलझन महसूस करो, इसे देखना और यह याद रखना कि असली खोई हुई दुनिया तुम्हारे भीतर है।"
सूरज ने उस पत्थर को अपनी जेब में रखा और धीरे-धीरे जंगल से बाहर निकलने का निर्णय लिया। जैसे ही वह जंगल से बाहर निकला, उसे महसूस हुआ कि वह न केवल बाहरी दुनिया को, बल्कि अपनी आंतरिक दुनिया को भी समझ चुका था। वह जान गया कि असली यात्रा किसी बाहरी स्थान तक पहुँचने की नहीं, बल्कि खुद के भीतर की खोई हुई दुनिया को समझने की होती है। सूरज ने सोचा, "यह यात्रा बाहरी नहीं, बल्कि आत्म-ज्ञान की है, और यही असली अनुभव है।"
जब सूरज गाँव वापस आया, तो उसने महसूस किया कि जो खोई हुई दुनिया वह खोज रहा था, वह किसी स्थान पर नहीं थी। असल में वह जगह उसकी खुद की आत्मा में छिपी हुई थी। सूरज अब जान चुका था कि खोई हुई दुनिया बाहरी नहीं होती, बल्कि वह हमारे भीतर छिपी होती है। उसे खोजने का रास्ता केवल आत्म-ज्ञान, शांति और संतुलन से गुजरता है।
सूरज ने उस दिन के बाद यह सीखा कि बाहरी दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं होता, लेकिन आत्मा की खोई हुई दुनिया हमेशा हमारे भीतर होती है। हमें इसे पहचानने और समझने के लिए अपनी अंदर की यात्रा करनी चाहिए। अब सूरज को अपने भीतर की खोई हुई दुनिया का गहरा अहसास था, और उसने अपने जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देखना शुरू किया।
समाप्त!