बहुत समय पहले एक छोटे से गाँव में एक बूढ़ा साधू बाबा रहते थे। उनका नाम था बाबा रामकृष्ण। बाबा का एक बहुत बड़ा रहस्य था—उनके पास एक अद्भुत खजाना था, जिसे उन्होंने जीवन भर छुपा कर रखा था। यह खजाना न केवल सोने-चाँदी का था, बल्कि इसमें कई अमूल्य किताबें और ज्ञान के रत्न भी थे। बाबा के बारे में कई तरह की कहानियाँ गाँव में फैल चुकी थीं, लेकिन असल में कोई नहीं जानता था कि बाबा के पास क्या है।
गाँव में कुछ लोग बाबा से बहुत प्रभावित थे, जबकि कुछ लोग उन्हें संदेह की नजर से देखते थे। वे समझते थे कि बाबा के पास कोई रहस्य है, लेकिन वह किसी को नहीं बताते। बाबा ने कभी किसी को अपने खजाने के बारे में कुछ नहीं बताया था। कुछ लोग तो यह भी मानते थे कि बाबा ने खजाना किसी अन्य उद्देश्य के लिए रखा है, लेकिन किसी को कभी यह पता नहीं चला।
एक दिन गाँव में एक युवक आया जिसका नाम था रोहन। रोहन एक साहसी और मेहनती लड़का था, लेकिन उसकी किस्मत बहुत खराब थी। वह हमेशा ही किसी न किसी परेशानी में फंसा रहता था। उसके पास ज्यादा पैसे नहीं थे, और वह हमेशा अपनी समस्याओं का हल ढूंढने के लिए संघर्ष करता रहता था। एक दिन उसने सुना कि बाबा रामकृष्ण के पास कोई खजाना है, जो दुनिया का सबसे कीमती खजाना हो सकता है। रोहन ने ठान लिया कि वह बाबा से उस खजाने के बारे में जरूर पूछेगा, क्योंकि उसकी ज़िन्दगी को बदलने के लिए किसी चमत्कारी खजाने की आवश्यकता थी।
रोहन ने बाबा से मिलने का निर्णय लिया। वह उनके आश्रम में पहुँचा और उन्हें प्रणाम कर बैठ गया। बाबा ने उसे देखा और मुस्कुराते हुए पूछा, "क्या तुम मुझसे कुछ पूछना चाहते हो, पुत्र?" रोहन थोड़ी झिझक के साथ बोला, "बाबा, मुझे सुना है कि आपके पास एक बहुत बड़ा खजाना है। क्या वह सच है?" बाबा रामकृष्ण ने उसकी आँखों में देखा, और गहरी मुस्कान के साथ कहा, "खजाना वही है, जो तुम्हारे अंदर है।"
रोहन समझ नहीं पाया और पूछने लगा, "बाबा, आप क्या कहना चाहते हैं?" बाबा ने उसे समझाया, "यह खजाना किसी जड़ धन या आभूषण का नहीं है। यह ज्ञान और सच्चाई का खजाना है। वह खजाना तुम्हारे भीतर छुपा है। अगर तुम खुद को जान सको, तो तुम्हें जीवन का सबसे बड़ा खजाना मिल जाएगा।" बाबा के शब्दों ने रोहन के मन में एक हलचल पैदा कर दी। वह बहुत देर तक सोचता रहा।
बाबा ने कहा, "जो चीज़ बाहर दिखाई देती है, वह हमेशा सच नहीं होती। तुम्हें यह समझने की आवश्यकता है कि असली खजाना कोई भौतिक वस्तु नहीं है, बल्कि वह तुम्हारे भीतर ही है। जब तुम अपने भीतर के ज्ञान और आत्म-शक्ति को समझोगे, तभी तुम्हें असली खजाना मिलेगा।" रोहन को समझ में आ गया कि असल खजाना बाहर नहीं, बल्कि खुद में छुपा होता है। वह दिन रोहन के जीवन का turning point था।
उसने अपने भीतर की शक्ति को पहचाना और कठिनाईयों का सामना करते हुए सफलता प्राप्त की। वह अब जानता था कि यदि वह अपने अंदर की शक्तियों और ज्ञान को पहचानता है, तो उसे बाहरी चीज़ों की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी। धीरे-धीरे रोहन ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस करना शुरू किया। उसके दिल में एक नया उत्साह था, और वह हर कठिनाई का सामना धैर्य से करने लगा।
समय के साथ रोहन ने अपनी समझ और ज्ञान को दूसरों के साथ साझा किया और गाँव में एक बड़ा परिवर्तन लाया। अब लोग सिर्फ सोने-चाँदी के खजाने के पीछे नहीं भागते थे, बल्कि वे अपने अंदर की शक्ति और ज्ञान को भी समझने लगे थे। उन्होंने बाबा रामकृष्ण की बातों को आत्मसात किया और अपने जीवन में बदलाव लाने की कोशिश की। गाँव में शिक्षा का स्तर बढ़ने लगा, और लोग अब अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानने लगे थे।
बाबा रामकृष्ण का खजाना सचमुच खोया हुआ था, क्योंकि वह किसी ठोस रूप में नहीं था, बल्कि एक अमूल्य धरोहर थी, जो हर इंसान के भीतर बसी होती है। यह खजाना केवल उन्हीं को मिलता है जो अपने जीवन की सच्चाई और ज्ञान को समझने के लिए तैयार होते हैं। रोहन अब एक नया इंसान बन चुका था, और उसने अपने जीवन में आने वाली सभी मुश्किलों को अपनी आंतरिक शक्ति से हल किया।
सीख: "सच्चा खजाना तुम्हारे भीतर ही छुपा होता है, जो ज्ञान, समझ और आत्म-शक्ति के रूप में होता है। असली संपत्ति बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक होती है। जब हम खुद को जानने लगते हैं, तो हम जीवन की सच्चाई को समझने लगते हैं और असली खजाना पाते हैं।"
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बाहरी वस्तुएं हमें खुशी नहीं दे सकतीं। असली खजाना हमारे अंदर होता है, और उसे पाना हमारी यात्रा है। जब हम अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानते हैं, तब हम जीवन के किसी भी संघर्ष को पार कर सकते हैं। रोहन की तरह हमें भी अपनी आत्म-शक्ति और ज्ञान को पहचानने की आवश्यकता है।
समाप्त