विशाल और सुनसान जंगल के बीच में एक खंडहर था। लोग उसे "खंडहर का रास्ता" कहते थे, और उसके पास से गुजरने का नाम तक कोई नहीं लेता था। कई बार वहाँ से गुजरते हुए लोगों ने डरावनी आवाजें सुनी थीं, और कई लोग तो उस रास्ते पर कभी लौट कर नहीं आए थे। पर राघव, एक साहसी और जिज्ञासु युवक, यह सब अफवाहें न मानते हुए उस रास्ते पर जाने का निश्चय कर चुका था।

एक शाम, राघव ने अपने दोस्तों को बताया कि वह खंडहर के रास्ते पर जाएगा। दोस्तों ने उसे बहुत समझाया, लेकिन वह नहीं माना। जब वह खंडहर के पास पहुँचा, तो उसने देखा कि यह जगह सचमुच डरावनी थी। चारों ओर घना अंधेरा था, और खंडहर के भीतर से अजीब सी आवाजें आ रही थीं। राघव ने साहस जुटाया और खंडहर के अंदर जाने का निर्णय लिया।

जैसे ही वह खंडहर के अंदर पहुंचा, उसे ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ। दीवारों पर काले धब्बे थे और छत से टूटे हुए लकड़ी के बीम लटके हुए थे। एक जगह पर उसे कुछ पुराने और जर्जर किताबें भी पड़ी मिलीं। राघव ने देखा कि कमरे के बीच में एक पुरानी आलमारी थी, और उसमें एक संदूक रखा था। उसकी जिज्ञासा उसे उस संदूक को खोलने के लिए उकसाने लगी।

जैसे ही उसने संदूक खोला, अंदर से एक खौ़फनाक हलचल हुई। संदूक में एक पुरानी तस्वीर थी, जिसमें खंडहर के आसपास कुछ लोग खड़े थे, जिनके चेहरे धुंधले थे। राघव ने सोचा कि यह शायद किसी पुराने समय की तस्वीर होगी, लेकिन तभी उसने देखा कि एक आदमी की आँखें उसकी ओर घूर रही थीं। राघव की आत्मा थरथराई, और वह तस्वीर को फेंकने ही वाला था कि अचानक खंडहर की दीवारें हिलने लगीं।

खंडहर के भीतर से एक चीत्कार सुनाई दी। राघव ने घबराते हुए देखा कि चारों ओर से धुंआ सा उठने लगा था, और दीवारों से आवाजें आ रही थीं। अचानक, एक दरवाजा खुला, जो पहले बंद था। राघव ने उस दरवाजे के भीतर देखा, और देखा कि वहाँ एक अंधेरा रास्ता था। वह रास्ता कहीं दूर तक जाता था, और उस रास्ते से अजीब सी आवाजें आ रही थीं, जैसे कोई मदद के लिए पुकार रहा हो।

डर के बावजूद, राघव ने उस रास्ते को अपनाने का निर्णय लिया। जैसे ही वह उस रास्ते पर बढ़ा, उसने महसूस किया कि वह खंडहर के भीतर और गहरे जा रहा है। रास्ते के दोनों ओर पुरानी और दरकी दीवारें थीं, और चारों ओर सन्नाटा था। लेकिन जैसे-जैसे वह आगे बढ़ता गया, उसे एहसास हुआ कि वह अकेला नहीं था। किसी और की मौजूदगी का अहसास उसे हो रहा था।

अचानक, एक भारी आवाज़ सुनाई दी। राघव ने मुड़कर देखा, और वह समझ गया कि वह खंडहर के रहस्यों को अब और नहीं जान सकता था। वह किसी चीज़ के पास था, जो मानव से परे थी। वह तुरंत वापस मुड़ा, और अपने पैरों के नीचे से एक ठंडी हवा महसूस करते हुए, वह खंडहर के बाहर की ओर दौड़ा। उसके पीछे वह रहस्यमयी दरवाजा फिर से बंद हो गया।

जब वह बाहर निकला, तो खंडहर अब वैसा नहीं था जैसे वह पहले था। सब कुछ शांत था। राघव को समझ में आ गया कि खंडहर का रास्ता केवल एक रहस्य नहीं था, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक चेतावनी थी, जो वहाँ जाने का साहस करते थे। राघव ने इस घटना के बाद कभी भी उस रास्ते को फिर से न चलने का निर्णय लिया।

लेकिन राघव का डर तब और बढ़ा जब कुछ हफ्तों बाद उसने सुना कि खंडहर के रास्ते पर कुछ और लोग गायब हो गए थे। हर एक गायब होने की घटना के साथ खंडहर की भयावहता और बढ़ती जा रही थी। किसी ने कहा कि वह जो कुछ भी अंदर होता था, वह खंडहर के रहस्यमयी रूप से जुड़ा था, जैसे कि वह आत्माओं और भूतों का घर हो।

एक दिन, राघव ने फिर से वह खंडहर देखा। हालांकि वह अब वहां जाने से डरता था, लेकिन उसकी जिज्ञासा ने उसे खींच लिया। इस बार, उसने निर्णय लिया कि वह खंडहर की पूरी जांच करेगा। उसे लगता था कि शायद वह कुछ ऐसी जानकारी ढूंढ सकता है, जो इस रहस्य को हल कर सके। उसने कुछ किताबें और पुरानी दस्तावेज़ एकत्र की और खंडहर के बारे में गहरी खोज शुरू की।

उसने जाना कि खंडहर के आसपास के लोग बताते थे कि यह स्थान कभी एक राजसी महल हुआ करता था। लेकिन एक बड़े हादसे के बाद, वह खंडहर में बदल गया। कहा जाता था कि वह हादसा नहीं बल्कि एक अभिशाप था। पुरानी कहानियाँ बताती थीं कि खंडहर के अंदर कुछ बुरी आत्माएँ फंसी हुई हैं, और यह आत्माएँ किसी को भी अपने पास आने की अनुमति नहीं देतीं। राघव ने समझा कि क्या वह भी एक ऐसे ही अभिशाप का शिकार हो सकता था।

एक रात, राघव फिर से खंडहर में गया, लेकिन इस बार उसने सावधानी बरती। वह अंदर जाने से पहले कुछ तंत्र-मंत्र का जाप करने लगा। जैसे ही वह अंदर गया, उसे महसूस हुआ कि कुछ अजीब हो रहा था। चारों ओर से एक डरावनी आवाज़ आ रही थी, जैसे कोई उस पर हमला करने वाला हो। तभी उसने देखा कि खंडहर के भीतर एक कटा हुआ चेहरा अचानक सामने आ खड़ा हुआ। वह अजीब शरारती हंसी हंस रहा था।

राघव चौंक गया और दौड़ते हुए बाहर भागने लगा, लेकिन जैसे ही वह बाहर पहुंचा, उसने देखा कि पूरा जंगल जैसे उसे घेरने आ रहा हो। वह जल्दी से एक पुराने मंदिर के पास पहुँचा और वहां जाकर अपनी आँखें बंद कर लीं। तभी उसे महसूस हुआ कि खंडहर का रास्ता अब उसे कभी नहीं छोड़ने वाला था। यह सिर्फ एक रहस्य नहीं था, बल्कि एक चेतावनी थी, एक शाप था जो अब राघव के साथ था।

सीख: कभी भी उन स्थानों पर जाने का साहस मत करो, जहाँ अतीत की छायाएँ और अनकही सच्चाइयाँ छिपी होती हैं। कभी-कभी जिज्ञासा हमें ऐसे रहस्यों से परिचित कराती है, जो हमें हमेशा के लिए बदल देती हैं।