अंशुल और उसकी बहन नीता एक छोटे से गाँव में रहते थे। गाँव के बाहरी इलाके में एक पुराना, टूटा-फूटा मकान था, जिसे लोग "साया वाला घर" कहते थे। अफवाह थी कि उस घर में एक रहस्यमयी परछाईं रहती है, जो रात के समय घर से बाहर आती है और लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेती है। अंशुल को इन सब बातों में कोई विश्वास नहीं था, लेकिन उसकी बहन नीता को उन अफवाहों का बहुत डर था।

एक दिन, अंशुल और नीता ने निर्णय लिया कि वे उस घर में जाएंगे और इस अफवाह की सच्चाई जानेंगे। वे रात के अंधेरे में घर की ओर बढ़े। जैसे ही वे उस खंडहर में पहुँचे, अंशुल ने महसूस किया कि वातावरण में कुछ अजीब था। हवा बहुत ठंडी थी, और चारों ओर अजीब सी खामोशी पसरी हुई थी। नीता डरते हुए अंशुल के पास आकर खड़ी हो गई।

अचानक, घर के अंदर से एक हल्की सी खड़खड़ाहट सुनाई दी। अंशुल ने नीता को दिलासा दिया और दोनों धीरे-धीरे अंदर दाखिल हुए। जैसे ही वे अंदर पहुंचे, अंधेरे में उनकी आँखें किसी भी चीज़ को ठीक से देख नहीं पा रही थीं। तभी, अचानक उनकी आँखों के सामने एक लंबी, काले रंग की परछाईं दिखाई दी। वह परछाईं तेज़ी से उनके पास आ रही थी।

अंशुल ने डरते हुए पूछा, "तुम कौन हो?" लेकिन उस परछाईं से कोई जवाब नहीं आया। परछाईं ने अपनी गति और तेज़ कर दी और अंशुल और नीता के पास पहुँची। नीता चिल्लाई और अंशुल ने भागने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही वह पीछे मुड़ा, उसे महसूस हुआ कि दरवाज़ा बंद हो चुका था। वह अब उस परछाईं के घेरे में था।

जैसे ही वह और नीता परछाईं से दूर जाने की कोशिश करते, वे महसूस करते हैं कि पूरा घर एक भंवर में बदल चुका था। घर की दीवारें खिसकने लगीं, और कमरे अचानक स्थान बदलने लगे। परछाईं ने अपने चेहरे को प्रकट किया, और अंशुल ने देखा कि वह न तो इंसान थी, न ही कोई जीवित प्राणी। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो डर से भी अधिक भयावह थी।

"तुम दोनों को यहाँ से कभी नहीं जाने दिया जाएगा," वह परछाईं बोल पड़ी, उसकी आवाज़ में सर्दी और खौफ का मिश्रण था। नीता सर्दी से कांपने लगी, और अंशुल ने उसे दिलासा देते हुए कहा, "डरो मत, हम इसे हराएंगे।" लेकिन जैसे ही उसने परछाईं को पीछे धकेलने की कोशिश की, वह महसूस करता है कि उसकी पकड़ बढ़ती जा रही थी।

अचानक, अंशुल ने देखा कि परछाईं के पीछे एक और विशाल आकृति उभर रही थी। यह आकृति उस परछाईं की सच्चाई थी - एक विशाल, काले रंग का साया, जो पूरे घर को निगलने के लिए तैयार था। अंशुल और नीता दोनों को अब यह समझ में आ गया था कि वे किस चीज़ से जूझ रहे हैं। यह कोई साधारण भूत-प्रेत नहीं था, बल्कि एक प्राचीन आत्मा थी, जो इस घर में बसी हुई थी और अपनी शिकारों को जिंदा खा जाती थी।

अंशुल ने नीता को तेजी से खींचा और दोनों उस घर से बाहर भागने की कोशिश की। लेकिन घर के दरवाजे अपने आप बंद हो गए, और खिड़कियाँ जालों की तरह बंद हो गईं। उन्हें एहसास हुआ कि वे उस साए के जाल में फंसे हुए थे। लेकिन तभी, अंशुल ने एक चमत्कारी कदम उठाया। उसने अपने हाथ में लिया हुआ आईने का छोटा सा टुकड़ा उस परछाईं के सामने किया।

जैसे ही आईने का टुकड़ा परछाईं के सामने आया, वह चिल्लाती हुई पीछे हटी और उसकी चमक फीकी पड़ गई। अंशुल और नीता ने फौरन घर से बाहर निकलने का रास्ता खोज लिया और जल्दी से बाहर आ गए। बाहर आते ही उन्होंने देखा कि घर के चारों ओर एक रहस्यमयी चुप्प थी, जैसे वह सब कुछ देख रही हो।

वे दोनों बिना किसी शब्द के वहाँ से दौड़ते हुए गाँव लौट आए, और किसी ने भी उस घर की ओर कभी रुख नहीं किया। लेकिन अंशुल के मन में एक सवाल था - क्या वे उस परछाईं से मुक्त हो गए थे, या वह उन्हें कभी न कभी फिर से पकड़ने आएगी?

अगले कुछ दिनों तक अंशुल और नीता अपने घर में सामान्य जीवन जीने लगे, लेकिन दोनों को लगातार उस साए वाली आत्मा का डर सता रहा था। अंशुल ने धीरे-धीरे महसूस किया कि उसकी नींद में अजीब से सपने आने लगे थे। वह हर रात उसी घर में फंसा हुआ महसूस करता, और वह परछाईं हमेशा उसके पीछे दौड़ती थी।

एक रात, अंशुल ने तय किया कि वह इस रहस्य का हल निकालने के लिए किसी और से मदद लेगा। उसने गाँव के बुजुर्ग से सुनी हुई बातें याद कीं। बुजुर्ग ने उसे बताया था कि घर में जो परछाईं बसी थी, वह एक प्राचीन आत्मा थी, जो किसी भयानक बलि का परिणाम थी। अंशुल ने सोचा, क्या उस आत्मा को शांति तब मिलेगी जब उसे उस बलि का सच्चाई पता चले?

अंशुल और नीता फिर से उस घर की ओर बढ़े। अब वे ज्यादा सावधान थे और उन्होंने इस बार पूरे इलाके का बारीकी से निरीक्षण किया। अंशुल को एक पुरानी किताब मिली, जो उस घर के इतिहास के बारे में बताती थी। किताब में लिखा था कि यह घर पहले एक महल हुआ करता था, और एक दिन यहाँ एक क्रूर रानी ने एक निर्दोष आदमी को बलि चढ़ाया था। उसी रात से उस आत्मा की उपस्थिति महसूस की गई।

अंशुल ने सोचा कि अगर वह उस रानी के बारे में कुछ और जानता, तो शायद वह उस आत्मा को शांति दे सके। उसने फिर से उस घर की गहरी छानबीन की और अचानक एक पुराने तहखाने में प्रवेश किया। वहाँ उसने कुछ और पुरानी यादें पाई। वह महसूस करने लगा कि यह खेल केवल भूत-प्रेत का नहीं, बल्कि एक बड़ा कच्चा सच है, जिसे सामने लाना जरूरी था।

एक रात, जब अंशुल और नीता उस घर में थे, परछाईं फिर से सामने आई। इस बार उसकी आँखों में कुछ और था, जैसे वह कुछ कहना चाहती हो। अचानक, वह परछाईं बोली, "तुम दोनों को यहाँ लाने वाला तुम्हारा ही कर्म था, तुम्हारी जिज्ञासा ने मुझे फिर से जीवित कर दिया। अब तुम्हें इसका हल ढूँढना होगा।"

यह सुनकर अंशुल और नीता दोनों को समझ में आ गया कि वह परछाईं नहीं, बल्कि एक चेतावनी थी। उन्होंने उस आत्मा को शांति देने का निर्णय लिया और रानी की क्रूरता को उजागर किया। अंशुल और नीता ने मिलकर उस पुराने इतिहास को गाँववालों के सामने लाया।

इसके बाद, वह साया और उसकी आत्मा शांत हो गई, और वह घर अब फिर से सुरक्षित हो गया। अंशुल और नीता ने महसूस किया कि कभी-कभी, बुरी शक्तियों से लड़ने के लिए सच्चाई की शक्ति ही सबसे बड़ी होती है। अब, वे दोनों उसी पुराने घर में खड़े थे, लेकिन अब वह खौ़फनाक नहीं, बल्कि एक इतिहास के अंश के रूप में महसूस हो रहा था।

सीख: कुछ रहस्य हमेशा हमें समझने के लिए होते हैं, और अगर हम उन्हें सही तरीके से सुलझाते हैं, तो हम खुद को और दूसरों को राहत दे सकते हैं। कभी भी जिज्ञासा और डर के बीच सही संतुलन बनाए रखें।