गाँव के किनारे एक पुरानी, खंडहर जैसी हवेली खड़ी थी। गाँव वाले हमेशा कहते थे कि हवेली में कुछ बहुत डरावना है, और उस जगह पर कभी रात नहीं बितानी चाहिए। लेकिन राज और उसके दोस्त हमेशा इन डरावनी कहानियों को नकारते रहे। एक रात, उन्होंने तय किया कि वे हवेली में रात बिताकर यह साबित करेंगे कि इन सभी बातों में कोई सच्चाई नहीं है।

राज और उसके तीन दोस्त, नीतीश, रिया, और समीर, हवेली के अंदर चले गए। हवेली का माहौल बहुत अजीब था। पुरानी लकड़ी की सीढ़ियाँ चरचरा रही थीं, और दीवारों पर बासी धूल की परतें जमी हुई थीं। हवेली के हर कोने में एक सन्नाटा था, जैसे कि किसी ने जानबूझकर यहाँ समय बिताने से मना कर दिया हो।

रात के अंधेरे में, जैसे-जैसे वे भीतर बढ़े, हवेली का डर और बढ़ता गया। अचानक, एक कमरे के भीतर से हलकी-सी आवाज आई। समीर ने डरते हुए कहा, "क्या यह आवाज़ हमें यहाँ अकेला छोड़ने के लिए कह रही है?" रिया ने हंसी में कहा, "तुम लोग बहुत डरते हो! कोई आवाज नहीं है, बस हवा का असर है।"

लेकिन जैसे ही वे कमरे के भीतर पहुंचे, देखा कि कमरे की दीवारों पर खून के धब्बे थे, और कमरे के कोने में एक पुराना, घिसा हुआ बिस्तर पड़ा था। कमरे की हवा ठंडी और अजीब थी। फिर अचानक, सभी लाइट्स चली गईं, और चारों ओर अंधेरा फैल गया।

"क्या तुमने सुना?" राज ने कांपते हुए पूछा। एक डरावनी आवाज कमरे में गूंजी, "तुम लोग अब यहाँ से नहीं जा सकते।" उस आवाज ने उनका दिल दहला दिया। वे दौड़ते हुए कमरे से बाहर निकले, लेकिन जैसे ही वे सीढ़ियाँ चढ़ने लगे, सीढ़ियाँ अचानक चिल्लाने लगीं, जैसे कोई बहुत बड़ी ताकत उसे नीचे खींचने की कोशिश कर रही हो।

सब कुछ और भी डरावना हो गया। हवेली की दीवारों पर कुछ खौ़नाकी आकृतियाँ उभर आईं, और उन्हें ऐसा लगने लगा जैसे कोई साया उनका पीछा कर रहा हो। राज और उसके दोस्त हड़बड़ाते हुए हवेली से बाहर भागे, और जैसे ही वे बाहर निकले, उनके चेहरे पर कांपती हुई धड़कनें थीं।

अगले दिन जब उन्होंने गाँव वालों से हवेली के बारे में पूछा, तो एक बुजुर्ग ने कहा, "यह हवेली एक समय में एक परिवार की थी। लेकिन वह परिवार एक अजीब हादसे में मारा गया था। और तभी से, हवेली में अजीब घटनाएँ होने लगीं। यह आत्माएँ अब भी हवेली में हैं और किसी को भी शांति से यहाँ नहीं रहने देतीं।"

राज और उसके दोस्तों को यह समझ में आ गया कि कभी-कभी, कुछ रहस्य ऐसे होते हैं, जिन्हें सुलझाना नहीं चाहिए। वे उन घटनाओं को हमेशा याद रखेंगे, क्योंकि वह रात उनकी ज़िन्दगी का सबसे डरावना अनुभव था।

लेकिन क्या वे पूरी तरह से बचकर निकल पाए थे? रात को हवेली के बाहर खड़े होकर, राज और उसके दोस्त अपनी धड़कनें सुन रहे थे। समीर ने कहा, "क्या तुम सोचते हो कि हम बचने में सफल हुए हैं?" रिया ने चुपचाप सिर झुकाया। वह सोच रही थी कि क्या हवेली उन्हें छोड़ देगी, या कहीं कोई छाया उनका पीछा कर रही होगी।

वह सभी अपनी गाड़ी तक पहुंचने के लिए दौड़ रहे थे, लेकिन जैसे ही वे गाड़ी के पास पहुंचे, समीर रुक गया। "यह क्या था?" उसने अचानक रुककर कहा। उसकी आँखों में भय था, और उसकी आवाज कांप रही थी। नीतीश ने उसे शांत करने की कोशिश की, लेकिन समीर ने कहा, "मुझे लग रहा है कि कुछ हमारे साथ आ रहा है।"

रिया और राज ने समीर के शब्दों को नजरअंदाज किया, लेकिन उनके भीतर भी एक अजीब-सी चिंता थी। वे गाड़ी में सवार हुए और हवेली से दूर जाने लगे। लेकिन जैसे ही वे सड़क पर आए, राज को एहसास हुआ कि कोई उनकी गाड़ी का पीछा कर रहा है।

"हमेशा से मैंने कहा था, कि हवेली छोड़ने के बाद भी, कुछ छाया हमसे जुड़ी रहती है।" राज ने गुस्से में कहा। रिया और नीतीश उसकी तरफ घूरते हुए बोले, "राज, क्या तुम पागल हो गए हो? कोई हमें नहीं देख रहा है।" लेकिन उनका विश्वास जल्दी ही टूटने वाला था।

गाड़ी की रियरव्यू मिरर में अचानक एक आकृति दिखी। समीर की आंखें फैल गईं। "यह वही है," उसने डरते हुए कहा। रिया ने मिरर में देखा, लेकिन वहां कुछ नहीं था। "तुम कुछ गलत देख रहे हो, समीर," रिया ने कहा, लेकिन समीर का डर और बढ़ चुका था।

अगले दिन, जब वे हवेली से लौटने के बाद अपने घर पहुंचे, एक और अजीब घटना घटी। रात को अचानक दरवाजे की घंटी बजी। जब उन्होंने दरवाजा खोला, तो बाहर कुछ नहीं था। लेकिन जमीन पर एक खून से सना हुआ कागज़ पड़ा था। उस कागज़ पर लिखा था, "तुम वापस लौटे हो। अब तुम्हारी बारी है।"

यह खतरे की चेतावनी थी, और यह सब कुछ ज्यादा डरावना होता जा रहा था। राज और उसके दोस्त अब पूरी तरह से मान गए थे कि हवेली में कुछ खतरनाक था। लेकिन अब यह सवाल था कि क्या वे बच पाएंगे, या क्या वे उस खौ़फनाक रात के शाप का शिकार होंगे?

अगले कुछ दिनों तक उन्हें किसी ने कोई परेशानी नहीं दी। लेकिन अजीब घटनाएँ जारी थीं। राज और उसके दोस्तों को लगने लगा कि हवेली का साया अब उनके आसपास है, और यह कभी नहीं छोड़ेगा।

जब वे एक दिन फिर से उस हवेली के पास पहुंचे, तो उन्हें अचानक एक बर्फीली आंधी का सामना हुआ। हवेली की खिड़कियाँ और दरवाजे बंद थे, लेकिन अंदर से चीखें आ रही थीं। यह आवाज़ किसी इंसान की नहीं थी, बल्कि एक अज्ञात शक्ति की थी, जो उन्हें बुला रही थी।

क्या राज और उसके दोस्त उस रहस्य को सुलझा पाएंगे, या वे उसी अंधेरे में खो जाएंगे, जैसे उन पूर्ववर्ती लोगों का हश्र हुआ था, जिनकी आत्माएँ अब हवेली में साक्षात्कार देती हैं?

यह एक नई शुरुआत थी, और इस बार, वे समझ चुके थे कि कुछ भयावह जगहों और घटनाओं के रहस्यों को सुलझाना नहीं चाहिए।

सीख: "कभी-कभी हमें अपने डर से भागना नहीं चाहिए, लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि कुछ डर हमेशा हमारे साथ रहते हैं।"

समाप्त